हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को उत्कृष्टता के शिखर पर देखना चाहता है। मगर उत्कृष्टता के पर्वत पर पहुँचने के लिए एक-एक कदम उत्कृष्टता के साथ ही रखना पड़ता है । अगर लापरवाही से कदम बढ़ाया जाए तो फिसलने व गिरने का डर बना रहता है। उत्कृष्टता के शिखर तक पहुँचने के लिए अनिवार्य है कि पीछे छोड़नेवाले हर कदम को सर्वोत्तम बनाया जाए, ताकि वह न केवल दूसरों को मार्ग दिखा सके, बल्कि पीछे निशान भी छोड़ सके। उत्कृष्टता सदैव सकारात्मक परिणाम देती है।
तेनालीराम एक ऐसे व्यक्ति थे, जो हर छोटे-बड़े काम को अपनी बुद्धि के साथ करते थे और कभी भी पीछे नहीं हटते थे। ज्ञान के चक्षु खोलने का कार्य शिक्षा करती है। तेनालीराम शिक्षित थे। उनकी शिक्षा ने भी उनके ज्ञान को बढ़ाया, जिस कारण वे हर कार्य को चतुराई से करके अपने शत्रुओं व प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते रहे।
तेनालीराम केवल एक थे। उनके जैसा कोई नहीं बन सकता। मगर हाँ, उनकी कहानियों एवं उनके जीवन को जान कर कोई भी स्वयं को शिखर पर ले जा सकता है। हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए ‘एक पठनीय पुस्तक।
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रेनू सैनी प्रतिष्ठित लेखिका हैं। लेखन के साथ-साथ इन्होंने अनुवाद, संपादन, मंच संचालन, एंकर, कमेंटेटर के क्षेत्र में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। अब तक इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘अपने चाणक्य स्वयं बनें’ एवं बच्चों के लिए लिखी गई पुस्तक ‘रंगीली, टिक्की और गुल्लू’ पाठकों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हुईं। ‘रंगीली, टिक्की और गुल्लू’ संस्कृत, गुजराती एवं उर्दू में अनूदित हो चुकी है।
इनकी ‘कलाम को सलाम’ पुस्तक मराठी एवं कोंकणी भाषा में भी पाठकों के लिए उपलब्ध है। ‘मोदी सक्सेस गाथा’ एवं ‘दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरक कहानियाँ’ पुस्तक हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित हैं। बाल साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार के साथ ही अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इनकी अनेक रचनाएँ समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती रहती हैं।
इ-मेल: saini.renu830@gmail.com
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